

आश्रम में अनाथ बच्चों के पालन पोष्ण की सेवा कार्य सुशीला प्रणामी कर रही हैं। सुशीला प्रणामी छोटे अनाथ बच्चों को बड़ा ही लाडप्यार देकर पालती हैं। दशकों पुराने इस आश्रम में छोटे बच्चों को शिक्षित करने के अलावा उन्हें अपनी जिमेवारी को समझने व पैरों पर खड़ा होने के काबिल भी बनाया जाता है ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो। सुशीला प्रणामी के जीवन का मुチय उद्देश्य मानव सेवा ही माधव सेवा है व नन्हें मुन्ने बच्चों में ही भगवान को देखती हैं। उनका मानना है कि इन नन्हे मुन्ने ममता की प्रतिमूर्तियों की सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं है। सुशीला बाई जिन्होंने अपना पूरा जीवन इन बच्चों के पालनपोष्ण में लगा रखा है। शायद ये दुनियां की औरतों से निराली मां है, जो एकएक दिन के बच्चों को अपने सीने से लगाकर पालती है। इनकी ममता का आंचल इतना बड़ा है कि कोई भी व्यक्ति शायद इसका अंदाजा भी नही लगा सकता।