श्रीमद्भागवत कथा का प्रथम दिन
फतेहाबादः ज्ञान भति और वेराग्य जीवन में आ जाए तो जीवन रसमय हो जाता है । यह बात युवा राष्ट्रीय संत राजदास जी महाराज ने अपने मुखारविन्द से श्रीमद्भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कही। कथा के प्रथम दिन मुチय यजमान मुチय संसदीय सचिव प्रहलादसिंह गिलांखेडा थे। प्रवचन में युवा संत ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के सुनने से जहां पूर्ण जीवन की प्राप्ति होती है वहीं जीवन पापों से मुत हो जाता है। उन्होंने संतों की महिमा बताते हुए कहा कि सच्चे

संत के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के जन्म जन्मातरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। आह्वान करते हुए संत ने कहा कि मनुष्य को निंदा चुगली से बचना चाहिए ताकि बुर व्यसनों में फंसकर जीवन व्यर्थ न जाए। इस अवसर पर मुチय यजमान प्रहलादसिंह ने कहा कि हमें समय निकालकर श्रीमद्भागवत को सुनना चाहिए योकि सारी जिंदगी भागदौड़ में ही बीत जाएगी जो जीवन का महत्व ही समाप्त हो जाएगा। इससे पूर्व जमू के संत उमेशानंद जी, वृंदावन के मुकंद शरण शास्त्री, बीरन के बनवारीलाल जी, उाराखंड के सागर जी महाराज, सिक्कम के बाबा मस्तनाथ, बनगांव के आत्माराम जी महाराज, प्रेम गिरी जी महाराज व बहन प्रोमिला जी ने भजन व सत्संग के माध्यम से श्रद्धालुओं को निहाल किया। इस अवसर पर बाल कलाकारों द्वारा तेरी यमुना दा मीठा मीठा पानी मटकिया भर लेन दे भजन पर सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई।
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